बालिका गृह व नारीशाला की बालिकाओं और महिलाओं के साथ माहवारी स्वास्थ्य जागरूकता के सम्बन्ध में एक लघु अध्ययन संस्था द्वारा आयोजित किया गया. जिसका उद्देश्य गृह में रह रही बालिकाओं -महिलाओं द्वारा वर्तमान में अपने माहवारी स्वास्थ्य को लेकर जो व्यवहार व साधन उपयोग में लाये जा रहे हैं क्या वे उनके लिए सुविधाजनक हैं? क्या वे आगे भी ये ही साधन उपयोग में लेंगी? क्या उनके गाँव में इनकी उपलब्धता है? क्या वे नैपकिन्स के अन्य विकल्प से परिचित हैं? परंपरागत रूप से वे किस प्रकार प्रबंधन करती रही हैं? क्या वे नैपकिन्स के बारे में पहले से परिचित थीं? क्या उन्होंने कभी माहवारी में कपड़ा का प्रयोग किया था? क्या वे संबंधित सावधानियों और रख-रखाव के स्वस्थ तरीकों से परिचित हैं? आदि अनेक प्रश्नों के परिप्रेक्ष्य में समझ बनाना था जिससे कि वे माहवारी स्वास्थ्य विषय की गंभीरता के प्रति संवेदनशील दृष्टि विकसित कर सकें. इस अध्ययन के निष्कर्षों को नारी निकेतन अधीक्षक व बाल कल्याण समिति सदस्यों के साथ साझा किया गया व एक प्रति उनके सुझावों हेतु उनको उपलब्ध करायी गयी. इस पर आधारित लेख प्रकाशित हुआ है जिसका विवरण निम्नवत है. “Menstrual Hygiene Management: Choices Now and Then”, 2017. Paper published in ‘Emerging Social Issues and problems in Contemporary Indian Society’ edited by Dr. H.N.Vyas, 2017, Sahityagaar, Jaipur. p 32-41.
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