सीधे और साफ़- साफ़ शब्दों में मुद्दा ये है कि ‘मरम्मत’ यानि रिपेयर वाले संस्कार को अपने भीतर मजबूती देना. प्लास्टिक या अन्य किसी भी जैविक रूप से नष्ट न हो सकने वाले कचरे के लिए ‘रीसाइक्लिंग’ कचरा प्रबंधन का तरीका है, पर व्यक्ति और परिवार के स्तर पर इस प्रकार के नियमित रूप से निकलने वाले कचरे को रोकने के लिए कबाड़ी के इंतजार के अलावा भी क्या कोई और रास्ता है? ऐसा ही कुछ सोचते हुए , दिवाली को भी मद्देनज़र रखते हुए, भारती और पीयूष कचरे (प्लास्टिक बोतलों, कांच की बोतलों, कपड़ों की कतरनों, गत्ते आदि) के साथ जुगत बिठाते हुए रंगीन, जगमगाती रोशनी की झालरों को बनाने का काम कर रहे हैं. पिछले सात दिनों से ये काम चालू है और नए साथी भी जुड़ते जा रहे हैं. तैयार झालरें दिवाली से पहले तक आप सभी के सामने प्रस्तुत करने की पूरी तयारी है. संस्था का ऑफिस कमरा एक छोटा-मोटा कारखाना सा बन गया है. आपका भी स्वागत है. आपके अंदाज़े के लिए कुछ तस्वीरें-