छुट-पुट तौर पर तो कई बार बालिका गृह की बालिकाओं के साथ उनकी सेहत, विशेषकर पीरियड्स को लेकर कई बार बात-चीत होती रहती थी. उसी दौरान कुछ ऐसा महसूस हुआ कि माहवारी को लेकर उनकी वर्तमान समझ वास्तविकता से बहुत दूर है. शायद ही कभी इस विषय को ज़रूरी मान कर उनके साथ कभी उनसे किसी ने चर्चा की होगी. ऐसा सोचते हुए हमने संतोष जी, हमारी संदर्भ व्यक्ति जो कि ग्रामीण परिवेश की किशोरी बालिकाओं के साथ स्वास्थ्य चर्चा करने में दक्षता रखतीं हैं, के साथ मिलकर कार्यशाला का आयोजन किया. बालिकाओं ने खुल कर अपने अनुभव सामने रखे और अपनी समझ में नवीन जानकारियों के साथ इजाफा किया. शरीर में प्रजनन अंगों की भूमिका, माहवारी चक्र प्रक्रिया, आपस में माहवारी के सम्बन्ध में बात करने के लिए प्रयुक्त विभिन्न शब्दावली, सम्बंधित सामाजिक प्रतिबंध और अपेक्षाएं, परिवार के पुरुषों की भूमिकाएं, माहवारी प्रबंधन , किशोरी स्वास्थ्य हेतु आहार इत्यादि विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई. इन चर्चाओं के लिए बॉडी मैपिंग विधा और विभिन्न सामग्रियों (आई ई सी मटेरियल) का प्रयोग करते हुए बालिकाओं के साथ तादाम्य बनाते हुए चर्चा को आगे बढ़ाया गया. ये कार्यशाला तो महज़ एक शुरुआत भर थी, अभी तो इस नवीन जानकारी के साथ लम्बे समय तक उनके साथ सार्थक संवाद रखने की आवश्यकता है. कुछ फ़ोटोज़ कार्यशाला के दौरान के आपके साथ साझा कर रहे हैं.