Intensive Folk Dance Workshop

Shed the past, forget the future and fall into the moment feet first.
(Gabrielle Roth)

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Shed the past, forget the future and fall into the moment feet first. (Gabrielle Roth)ये बहुत ही सटीक बयानगी थी नारीशाला की बालिकाओं के लिए जिनके साथ 15 दिन की Intensive Folk Dance Workshop में हमने पाया कि कैसे डांस की प्रक्रिया के दौरान वे अपनी चिंताओं से मुक्त तल्लीनता से सीख रहीं थीं. आपके साथ हम उसी कार्यशाला और फिर social welfare week- 2014 के तहत बाल दिवस पर सचेतन द्वारा आयोजित उत्सव में उनके प्रदर्शन की कुछ फ़ोटो और विडियो (Thirakte Hum) साझा कर रहें हैं. डांडिया, घूमर और मंजीरा नृत्य -इन तीन शैलियों के साथ उनको मन-शरीर और संवेगात्मक स्तर पर खुद को समझने – समझाने का प्रयास किया गया. इन नृत्य शैलियों के माध्यम से सामूहिकता, सामंजस्य, अपनी जगह (स्थिर) पर होते हुए भी गति को प्रेरित करना, समूह की गति और लय को बनाये रखना इत्यादि संकेतों पर ध्यान दिलाते हुए कार्य किया गया. यूँ तो तेरह ताली नृत्य में तेरह मंजीरों को शरीर के विभिन्न हिस्सों में बाँध कर नृत्य किया जाता है. परन्तु सीखने की शुरुआती प्रक्रिया में हमने 5-5 मंजीरों के साथ कार्य किया. और परिणाम सुखद थे. इस काम में हमारी मदद की- कोटा के लोक नृत्य प्रशिक्षक श्री गोविन्दप्रकाश जी ने, जिन्होंने मंजीरों से खेलने की तकनीक बच्चियों को बताई. गोविन्द जी को सचेतन का कोटि-कोटि साधुवाद. सामाजिक न्याय एवं अधिकरीता विभाग, कोटा की उप निदेशक सविता कृश्निया , सुप्रिया दुबे, डॉ. रमण देपावत, डॉ. प्राची दीक्षित, एडवोकेट ज्योति गौड़ और प्रभाकर शर्मा जी के हम आभारी हैं जिनकी संगत और सराहना ने बालिकाओं को विश्वास और उर्जा प्रदान की. आप भी देखिये और सराहिये.

Posted by SACHETAN on Thursday, October 9, 2014

ये बहुत ही सटीक बयानगी थी नारीशाला की बालिकाओं के लिए जिनके साथ 15 दिन की Intensive Folk Dance Workshop में हमने पाया कि कैसे डांस की प्रक्रिया के दौरान वे अपनी चिंताओं से मुक्त तल्लीनता से सीख रहीं थीं. आपके साथ हम उसी कार्यशाला और फिर social welfare week- 2014 के तहत बाल दिवस पर सचेतन द्वारा आयोजित उत्सव में उनके प्रदर्शन की कुछ फ़ोटो और विडियो (Thirakte Hum) साझा कर रहें हैं.
डांडिया, घूमर और मंजीरा नृत्य -इन तीन शैलियों के साथ उनको मन-शरीर और संवेगात्मक स्तर पर खुद को समझने – समझाने का प्रयास किया गया. इन नृत्य शैलियों के माध्यम से सामूहिकता, सामंजस्य, अपनी जगह (स्थिर) पर होते हुए भी गति को प्रेरित करना, समूह की गति और लय को बनाये रखना इत्यादि संकेतों पर ध्यान दिलाते हुए कार्य किया गया. यूँ तो तेरह ताली नृत्य में तेरह मंजीरों को शरीर के विभिन्न हिस्सों में बाँध कर नृत्य किया जाता है. परन्तु सीखने की शुरुआती प्रक्रिया में हमने 5-5 मंजीरों के साथ कार्य किया. और परिणाम सुखद थे. इस काम में हमारी मदद की- कोटा के लोक नृत्य प्रशिक्षक श्री गोविन्दप्रकाश जी ने, जिन्होंने मंजीरों से खेलने की तकनीक बच्चियों को बताई. गोविन्द जी को सचेतन का कोटि-कोटि साधुवाद. सामाजिक न्याय एवं अधिकरीता विभाग, कोटा की उप निदेशक सविता कृश्निया , सुप्रिया दुबे, डॉ. रमण देपावत, डॉ. प्राची दीक्षित, एडवोकेट ज्योति गौड़ और प्रभाकर शर्मा जी के हम आभारी हैं जिनकी संगत और सराहना ने बालिकाओं को विश्वास और उर्जा प्रदान की. आप भी देखिये और सराहिये.

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