हमें रंग, कागज और मौका दे कर तो देखो …….हमारी कल्पनाएँ भी रंग बिरंगी हैं, सीखने की ललक भी हममे है, सीधी लकीर न सही टेढ़ा-मेढ़ा गोला ही सही, हमारी मछली नीली ही सही और पेड़ पीले ही सही…..लेकिन हम ऐसे ही बनायेंगे, रंगेंगे और इतरायेंगे. ऐसा ही अनुभव रहा …
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