हमारी artlab की श्रंखला में ये एक और कार्यशाला थी जो कि शहर की कच्ची बस्ती की बच्चियों के साथ अयोजित की गई. 8-9 अक्टूबर को प्लास्टिक कचरे पर आधारित इस दो दिवसीय कार्यशाला में बालिकाओं ने प्लास्टिक कचरे की समस्या, उसके रूप, प्लास्टिक के विकल्प, समस्या के समाधान इत्यादि पर चर्चा की. साथ ही प्लास्टिक कचरे विशेषकर, खाली अनुपयोगी प्लास्टिक बोतलों को कचरे में डालने के बजाय उनसे और क्या क्या चीज़ें बनायीं जा सकतीं हैं इन के कलात्मक समाधान क्या हो सकते हैं? हम क्या कर सकते हैं? बना सकते हैं? के बारे में सोचा व बनाया. रंग हों, और सामान हो …साथ ही बिगड़ता है तो बिगड़ने दो की छूट हो तो और क्या चाहिए…..कल्पनाओं ने रंग भरे …किसी ने फूल बनाये, गुलदस्ते बनाये तो कोई चूड़ियाँ बना रहा था. इन सबके साथ ही दो दिन की सारी बातों और रचनात्मकता को ज्ञानोपयोगी पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से समेटा गया. सभी बालिकाओं को धन्यवाद व साथ ही पीयुष अग्रवाल का बहुत आभार जिनके सहयोग से इस कार्यशाला का आयोजन कर सके.